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Kanu Butani



कानू बुटाणी की कविताएँ


सूरज की पहेली किरण

जब सूरज की पहेली किरण 
धरती को करे रौशन 
सब बन जाते है मगन 
धरती को करे रौशन 

जब सुप्रभात होती है 
रोशनी की बरसात होती है 
खिलते हीरे और मोती है 
धरती बन जाये दुल्हन 

जंगल में सारे जानवर 
उठते है उबासी मारकर 
फिर ज़ोरों की अंगराई लेकर 
करते है दिन का आगमन 

अपने घोंसले से सब पंछी 
उठकर निकलते है पंछी 
अपना काम करने सब पंछी 
उड़े जब भर जाये गगन

मई का महीना

मई का महीना शिरु हूवा
गर्मी पसीना शिरु हूवा
गरमागरम चाय की जगह
ठंडा पीना शिरु हूवा
बाकि फलों को छोड़कर
आम खाना शिरु हूवा

रंग आकाश का नीला है
बादल न कोई साया है
सूरज तेज बरसा रहा
हवा का झोंका आया है
हर गम के आसूं का
हसी से पीना शिरु हूवा

वसन्तदूती

ऐ वर्षा के आगमन का 
समाचार लाये , हर दिल छूती 
स्वागत कर रही नाच उड़कर 
सारे आकाश में वसन्तदूती 

बदलों की काली छत है छायी 
सूखे आसमान में चारों और 
पहेली कड़कती बरसाती झड़ी में 
धरती की सुगंध रही है दौर 
किस तरह यह पानी की देखो 
झरझर तरमर है टूटी 
स्वागत कर रही नाच उड़कर 
सारे आकाश में वसन्तदूती

पट पट पर मुरझाये पेड़ 
उनपर चढ़े वसन्ततिलक 
बदल जाए रंग वनो का 
बस झपकते इक पलक 
अंकुरित होये हर डाली पर 
नयी तरंग संग है फूटी 
स्वागत कर रही नाच उड़कर 
सारे आकाश में वसन्तदूती

Fly In the Sky

fly in the sky........
its a season
of lovely rains
hand in hand
walk in love lanes

नशा

छाया है ऐसा नशा इश्क का 
के इस नशे में हो चूर पड़े है
तुम्हारे हसीं जिस्म पर हाय 
मेरे ये प्यासे प्यासे नूर पड़े हैं 

1st June

बरसो बदल बरसो हम बड़े तरसे 
बारिश कब बरसे 
गर्मी के मारे निकले नहीं घरसे 
बारिश कब बरसे 
१स्ट जून, बारिश आ जाओ सून 
मॉर्निंग से लेकर हो गयी नून 
सुन डूब गया आ गया मून 
तून कार्टून बस देखें हम पेरसे 
बारिश कब बरसे 


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